महिला सशक्तिकरण से अभिप्राय महिला में उस योग्यता को विकसित करना है जिससे उसे अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वंय ले सके उसे निर्णय लेने के लिए किसी पर आश्रित न रहना पड़े।
महिला सशक्तिकरण को हम इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं जिसमें महिलाओं में उत्साहित का प्रवाह होना चाहिए जिससे वो अपने जीवन से जुड़े फैसले स्वंय ले सके। समाज में उनके बास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने हेतु उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है।
महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है ?
यदि हम आज से 10 वर्ष पूर्व की बात करें तो महिला सशक्तिकरण पर बात करना बेमानी सा लगता था लेकिन पिछले 10 वर्षों में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण पर बहुत जोर दिया है।
स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व है। हमारे ग्रंथों में नारी के महत्व पर यहाँ तक कहा गया है कि
अर्थात जहाँ नारी को पूजा जाता है वहाँ देवता निवास करते हैं।
नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी उसके सशक्तिकरण की आवश्यस्ता हो रही है तो यह हमारे समाज की विडम्वना है।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हमें सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों पर चोट पहुंचाने वाली सोच को समाप्त करना होगा।
दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन शोषण, असमानता, भ्रूण हत्या, वेश्यावृति जैसे विषयों को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा तभी हम महिलाओं को सशक्त कर पाएंगे।
हमारा देश पिछले 10 वर्षों से काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन इसे तभी कायम रख पाएंगे अब हम अपने देश में लैंगिक असमानता को दूर करेंगे अर्थात् भ्रूण हत्या पर लगाम लगाएंगे क्योंकि हमारे देश में पुरुष और नारी के जन्म अनुपात में काफी फर्क है जिसके कारण महिलाएं अपने परिवार के साथ-साथ बाहरी समाज में भी बुरे बर्ताव से परेशान हैं।
यदि हम अपने देश में शिक्षा की बात करें तो उसमें भी महिलाएं परुषों की तुलना में अनपढ़ हैं हमें इस खाई को भी भरना पड़ेगा ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा।महिला सशक्तिकरण का अर्थ तब समझ में आएगा जब हमारे देश में महिलाओं को अव्वल दर्जे की शिक्षा प्रदान की जाएगी और महिलाओं को इस काबिल बनाया जाएगा जहाँ को हर क्षेत्र में स्वंतंत्र होकर अपने फैसले स्वंय ले सकें।
यह भी पढ़ें: क्या ट्रंप की टैरिफ नीति भारतीय निर्यातकों के लिए बुरा सपना साबित होगी?
आज भी हमारे देश में पुरुषों की शिक्षा दर 81.3% प्रतिशत है जबकि महिलाओं की 60% प्रतिशत है। हमें इस अंतर को समाप्त करना होगा।
महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना होगा ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, इत्यादि में बराबरी के मौके, दिला सकें और वह सामाजिक और स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके एवं साथ ही अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
हमारे देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी केवल महिलाओं की है। यदि हम अपने देश के विकास की बात करें तो हमें इस 50% महिला आबादी जो अभी सशक्त नहीं है और सामाजिक बंधनों से जकड़ी हुई है उसे भी सशक्त बनाना होगा नहीं तो बिना हमारी महिलाओं को मजबूत करे हमारा देश विकसित नहीं हो पाएगा। हमें नारी को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए भी तैयार करना होगा।
पिछले 10 वर्षों में हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लैंगिक असमानता, बुरी प्रथाओं, इत्यादि को हराने के लिए बहुत सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाकर उन्हें लागू भी किया जो एक महिला सशक्तिकरण के लिए एक सराहनीय प्रयास है।
आज आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकारों को लेकर ज्यादा जागरूक हुआ है जिसका परिणाम यह है कि बहुत सारे स्वंय सेवी समूह और एन.जी.ओ. भी इस दिशा में कार्य करने में प्रयासरत है।
महिलाओं की विकसित कर उसे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्याय, विचार विश्वास, अवसर की समानता का शु- अवसर प्रदान करना ही नारी साक्तिकरण है।
आज हमारे देश की (राष्ट्रपति) महामहिम द्रौपदी मुर्मू हैं और उसके साथ हो हारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने श्रीमती रेखा गुप्ता जी को राजधानी की दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाकर महिला सशक्तिकरण में एक और नया अध्याय जोड़ दिया है।
Leave a Reply